रविश कुमार वरिष्ठ पत्रकार ने X पर लिखते हुए कहा-
“सिर्फ़ सुरक्षा में चूक से लोगों की जान नहीं गई, गोदी मीडिया की बेईमानी से भी लोग मरे हैं। इस मीडिया ने सुरक्षा को लेकर सवाल करना बंद कर दिया।”
भाई आप केमिस्ट्री में फेल हो गए उसका जवाब दें। आप गणित में कितना नंबर लाकर दिखा देंगे, इसे लेकर मत फुफकारिए। कहने का मतलब है कि आपने सुरक्षा नहीं दी, लोगों का जीवन मिट्टी में मिल गया। आपकी वजह से हुआ। उसका हिसाब दें। जवाबदेही तय करें फिर जिसे मिट्टी में मिलाना है मिलाइये। वो तो आपका काम ही है।
आप तो मिट्टी में ही मिलाने के एक्सपर्ट हैं। आपने मीडिया मिट्टी में मिला दिया, संस्थाओं को मिट्टी में मिला दिया तो आपमें पूरा भरोसा है सर। जेल में बंद करने और छापा मार कर चुप कराने के अलावा और क्या आता है। इसी से लोगों की आवाज़ मिट्टी में मिल गई है वरना आप उस आवाज का सामना नहीं कर पाते।
आतंकवाद मिटाने के लिए आपने नोटबंदी की थी, लोगों की कमाई मिट्टी में मिल गई। एक नोटबंदी और कर दीजिए। गोदी मीडिया माहौल बना देगा। मोदी की ललकार, फुंफकार और हुंकार बोल कर। इससे कम बहादुरी में एक प्रेस कांफ्रेंस हो सकती है।
क्या आपसे किसी ने नहीं कहा कि मिट्टी में मिला देंगे टाइप के डॉयलॉग प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देते। वो भी तब जब आप केमिस्ट्री में फेल हो गए हों। ऐसी भाषा का प्रयोग दसवीं क्लास का बच्चा वाद विवाद प्रतियोगिता में करता है।जब तर्क और विवेक नहीं होता तो वीर रस की सस्ती कविताएँ ठेल देता है। अपने भाषण का स्तर तो ठीक कीजिए। अंग्रेज़ी श्रेष्ठ भाषा है। बोलते रहिए। इंगलिस बोलने से कुंठा दूर होती है।
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