Latest Breaking News: Hindi- Latest Update and News All India Breaking News, Latest Update- Town Live News Town Live News - Voice Of Your Town

Waqf Amendment Bill क्या है वक्फ बोर्ड के नए नियम आज सांसद में संशोधन बिल पेश हुआ

आज संसद में पुराने वक्फ कानूनों में बदलाव के लिए वक्फ संशोधन बिल 2024 (Waqf Amendment Bill) पेश कर दिया गया. इस बिल का विपक्ष ने विरोध किया. बिल पेश होते ही सदन में जोरदार हंगामा देखने को मिला. इस बिल को लेकर पहले से ही विवाद खड़ा हो गया है.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसी संस्थाओं और एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार के इस कदम पर कड़ा विरोध जताया है. बिल के ज़रिए 1995 और 2013 के वक्फ कानूनों में संशोधन किया गया है. इस बिल में 1995 के वक्फ कानून का नाम बदलकर Unified Waqf Management , Empowerment, Efficiency and Development Act 1995 रखा गया है. बिल के ज़रिए पुराने कानूनों में क़रीब 40 बदलाव किए गए. बिल में कहा गया है कि 1995 और 2013 के कानूनों के बावजूद राज्य वक्फ बोर्ड के कामकाज में कोई ख़ास सुधार देखने को नहीं मिला है और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संचालन में पारदर्शिता का अभाव है.

 

1995 का वक्फ संशोधन रहा है अक्षम – किरेन रिजिजू

1954 में सबसे पहले ये बिल लाया गया था और इसके बाद इसमें कई संशोधन हुए हैं. जो हम इसमें आज संशोधन लाने वाले हैं वो वक्फ एक्ट 1995 है, जिसको 2013 में संशोधित करके ऐसा प्रावधान डाला गया था, जिसकी वजह से हमें यह संशोधन लाना पड़ रहा है. 1995 का वक्फ संशोधन एक्ट में जो भी प्रावधान लाया गया था, उसका कई लोगों ने अलग-अलग तरीके से एसेस्मेंट किया है. कई कमिटी और लोगों ने इसका एनालिसिस किया है लेकिन यह पाया गया है कि 1995 का वक्फ एमेंडमेंट एक्ट बिल्कुल अक्षम रहा है.

पहली बार पेश नहीं हुआ है वक्फ संशोधन बिल

किरेन रिजिजू ने आगे कहा, ये बिल पहली बार पेश नहीं किया गया. आजादी के बाद सबसे पहले ये बिल जिन्हें हक नहीं मिला, उन्हें हक देने का है. इसका समर्थन कीजिए करोड़ों लोगों की दुआ मिलेगा. ये हक छीनने वाला नहीं, हक देने वाला बिल है. बिल में संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है

सांसद मोहिब्बुलाह ने कहा यह मजहब में दखलंदाजी

रामपुर से एसपी सांसद मोहिब्बुलाह ने कहा कि गवर्निंग काउंसिल में गैर-मुस्लिम को रखना मुस्लिमों के साथ में अन्याय है. कुरान और इस्लाम में क्या लिखा है, यह आप तय करेंगे या फिर मैं तय करूंगा. यह मजहब में दखलंदाजी है

बिल की चार प्रमुख बातें

1. सभी मौजूदा वक्फ संपत्तियों को नियमित करने का प्रावधान- नया कानून लागू होने के 6 महीने के भीतर पोर्टल और डेटाबेस पर मौजूदा वक्फ संपत्तियों की जानकारी देना अनिवार्य होगी. सभी वक्फ संपत्तियों की सीमा, पहचान , उनका उपयोग और उसको इस्तेमाल करने वाले की जानकारी भी होगी. साथ ही वक्फ बनाने वाले का नाम और पता, तरीका और तारीख. वक्फ की देखरेख और प्रबंधन करने वाले मुतवल्ली की जानकारी होगी. वक्फ संपत्ति से होने वाली सालाना आमदनी की जानकारी भी इसमें शामिल है.

2. कोर्ट में लंबित मामलों की जानकारी- संपत्ति वक्फ की है या नहीं , इसका फैसला राज्य वक्फ बोर्ड नहीं कर सकेंगे. कानून लागू होने के बाद हर नई वक्फ संपत्ति का रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा. नया वक्फ संपत्ति दस्तावेज़ के बिना नहीं बनाया जा सकेगा. नए वक्फ संपत्ति के रजिस्ट्रेशन के लिए वक्फ बोर्ड में आवेदन देना होगा. आवेदन की जांच के लिए वक्फ बोर्ड ज़िला कलेक्टर के पास भेजेगा.ज़िला कलेक्टर के पास ही आवेदन की जांच का अधिकार और कलेक्टर की रिपोर्ट के बाद ही वक्फ का रजिस्ट्रेशन होगा. अगर कलेक्टर ने रिपोर्ट में संपत्ति को विवादित या सरकारी ज़मीन करार दिया तो रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. रजिस्ट्रेशन होने पर सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा. कोई भी सरकारी ज़मीन वक्फ की संपत्ति नहीं बनाई जा सकेगी. कानून लागू होने के बाद वक्फ संपत्ति घोषित हो चुके मौजूदा सरकारी संपत्तियों को वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा. ज़मीन सरकारी है या नहीं , इसकी जांच और निर्णय लेने का अधिकार कलेक्टर के पास रहेगा.जिन वक्फ संपत्तियों की जांच सर्वे कमिश्नर कर रहे , उनकी जांच कलेक्टर को सौंपी जाएगी.

3. केंद्रीय वक्फ काउंसिल और राज्य वक्फ बोर्डों को ज़्यादा व्यापक और सर्व समावेशी बनाने का प्रावधान- अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री काउंसिल के चेयरमैन होंगे , तीन सांसद भी इसके सदस्य होंगे. केंद्रीय काउंसिल के सदस्यों में 2 महिलाओं को शामिल करना अनिवार्य होगा. दो गैर मुस्लिम सदस्य भी होंगे. मैनेजमेंट , वित्तीय मैनेजमेंट , प्रशासन और इंजीनियरिंग या आर्किटेक्चर जैसे क्षेत्रों से भी सदस्य बनाए जाएंगे. राज्य वक्फ बोर्डों में अधिकतम 11 सदस्यों का प्रावधान होगा. दो महिला और दो गैर मुस्लिम सदस्यों शामिल होने का भी प्रावधान है. बोहरा और आगाखानी समुदाय से भी सदस्य बन सकेंगे. सदस्यों में शिया , सुन्नी और ओबीसी वर्ग का कम से कम एक प्रतिनिधि अनिवार्य.

4. विवाद की स्थिति में वक्फ ट्रिब्यूनल के फ़ैसले को ऊंची अदालतों में चुनौती देने का प्रावधान- 90 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी. फिलहाल ट्रिब्यूनल का फ़ैसला ही अंतिम फ़ैसला होगा.

वक्फ बिल के सबसे अहम बदलाव क्या होंगे, यहां जानें

1.कानून लागू होने के बाद हर नई वक्फ संपत्ति का रजिस्ट्रेशन और वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा.नई वक्फ संपत्ति दस्तावेज के बिना नहीं बनाई जा सकेगी.

2.केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम और गैर मुस्लिम का उचित प्रतिनिधित्व होगा. मुस्लिम समुदायों में अन्य पिछड़ा वर्ग; शिया, सुन्नी, बोहरा, आगाखानी को प्रतिनिधित्व प्रदान करना है.

3.महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा. केंद्रीय परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में दो महिलाओं को रखना अनिवार्य होगा.

5.एक केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करना भी इसमें शामिल है.

6.दो सदस्यों के साथ ट्रिब्यूनल संरचना में सुधार करना और ट्रिब्यूनल के आदेशों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील के लिए नब्बे दिनों की मियाद दी जाएगी.

7. वक्फ संपत्तियों के सर्वेक्षण के लिए सर्वे कमिश्नर का अधिकार कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा नामित डिप्टी कलेक्टर को होगा.

8. वक्फ परिषद में केंद्रीय मंत्री, तीन सांसद, मुस्लिम संगठनों के तीन नुमाइंदे, मुस्लिम कानून के तीन जानकार, सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के दो पूर्व जज, एक प्रसिद्ध वकील, राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चार लोग, भारत सरकार के अतिरिक्त या संयुक्त सचिव आदि होंगे. इनमें से कम से कम दो महिलाओं का होना आवश्यक है.

राज्यसभा से वक्फ संपत्ति से जुड़ा विधेयक वापस लेगी केंद्र सरकार

सरकार गुरुवार को लोकसभा में वक्फ संपत्ति से जुड़ा विधायक पेश करेगी, वहीं दूसरी ओर राज्यसभा से वक्फ संपत्ति से जुड़ा विधेयक वापस लिया जाएगा. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने 18 फरवरी 2014 को राज्यसभा में वक्फ संपत्ति से जुड़ा यह बिल पेश किया था. अब केंद्र सरकार ने इसे राज्यसभा से वापस लेने का फैसला किया है. अल्पसंख्यक मामलों के किरेन मंत्री रिजिजू गुरुवार को इसे वापस लेने का विधेयक राज्यसभा में पेश करेंगे

वक्फ बिल में संशोधन का क्या मकसद

सरकार ने बिल लाने का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और संचालन बताया है. इसमें वक्फ कानून 1995 के सेक्शन 40 को हटाया जा रहा है जिसके तहत वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति घोषित करने का अधिकार था. वक्फ कानून 1995 का नाम बदल कर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 होगा.

वक्फ से जुड़े 2 बिल संसद में लाए जाएंगे

सरकार वक्फ से जुड़े दो बिल संसद में लाएगी. एक बिल के जरिए मुसलमान वक्फ कानून 1923 को खत्म किया जाएगा. दूसरे बिल के जरिए वक्फ कानून 1995 में महत्वपूर्ण संशोधन होंगे. सरकार ने कहा कि बिल लाने का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और संचालन है. इसमें वक्फ कानून 1995 के सेक्शन 40 को हटाया जा रहा है.

वक्फ बिल में होने वाले बदलाव से जुड़ी खास बातें

बिल के जरिए 1995 और 2013 के वक्फ कानूनों में संशोधन किया जा रहा है. बिल में 1995 के वक्फ कानून का नाम बदलकर यूनीफाइड वक्फ मैनेजमेंट, इम्पॉवरमेंट, एफिसिएंशी एंड डेवलपमेंट एक्ट 1995 (Unified Waqf Management , Empowerment, Efficiency and Development Act 1995) रखा गया है. इस बिल के जरिए पुराने कानूनों में करीब 40 बदलाव किए जाएंगे. इसके साथ ही बिल में कहा गया है कि 1995 और 2013 के कानूनों के बावजूद राज्य वक्फ बोर्ड के कामकाज में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला है और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और संचालन में पारदर्शिता का अभाव है.

विपक्ष ने संसदीय समिति के पास भेजने की मांग की

विपक्षी दलों ने बुधवार को सरकार से आग्रह किया कि वक्फ (संशोधन) विधेयक को पेश किए जाने के बाद इस पर गौर करने के लिए इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए. दूसरी तरफ, सरकार ने कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में कहा कि वह सदन की भावना का आकलन करने के बाद इस पर फैसला करेगी. इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा कि वह बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश होने के बाद विधेयक पर चर्चा और इसे पारित कराने पर जोर नहीं देगी.

 

What is your reaction on this news? | इस खबर पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
1
+1
0
Share This News...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *