जून 13, 2025

भारत की गाज़ा मुद्दे पर चुप्पी: वैश्विक मंच पर अलग-थलग पड़ने का खतरा

May 22, 2025
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जिनको इस बात का दुख है कि दुनिया का कोई देश साथ नहीं आया उनके लिए एक फैक्ट ...

गाज़ा में चल रहे मानवीय संकट और इजरायल के सैन्य अभियानों ने वैश्विक मंच पर तीखी प्रतिक्रियाएँ उकसाई हैं। हाल के समाचारों के अनुसार, यूरोप के 17 देशों ने इजरायल की कार्रवाइयों की निंदा की है। ब्रिटेन ने इजरायल के साथ मुक्त व्यापार वार्ता को रोक दिया है, जबकि स्पेन ने स्पष्ट रूप से गाज़ा में मानवीय सहायता की मांग की है। इसके बावजूद, भारत सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई ठोस बयान सामने नहीं आया है। यह चुप्पी न केवल भारत की विदेश नीति के रुख पर सवाल उठाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत वैश्विक मंच पर मानवीय संकटों पर अपनी आवाज़ को कितना सीमित रख रहा है।


गाज़ा में मानवीय संकट और वैश्विक प्रतिक्रिया


हाल के समाचारों के अनुसार, गाज़ा में इजरायली सैन्य कार्रवाइयों में सैकड़ों लोग मारे गए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएँ और बच्चे शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने चेतावनी दी है कि गाज़ा में 14,000 नवजात बच्चों की जान खतरे में है, क्योंकि इजरायल की नाकेबंदी के कारण खाद्य और चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति बाधित हो रही है। यूरोप के देशों, जैसे ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा, ने इजरायल पर "ठोस कार्रवाई" की धमकी दी है, यदि वह गाज़ा में सहायता प्रतिबंधों को नहीं हटाता। ब्रिटेन ने अपनी व्यापार वार्ता रोककर एक कड़ा संदेश दिया है, जबकि स्पेन ने गाज़ा में मानवीय सहायता की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है।

 
भारत सरकार की चुप्पी
इन अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं के बीच, भारत सरकार की ओर से गाज़ा मुद्दे पर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। हाल के महीनों में, भारत ने गाज़ा के लिए मानवीय सहायता भेजी थी, जिसमें 32 टन राहत सामग्री और संयुक्त राष्ट्र राहत कार्य एजेंसी (UNRWA) को 2.5 मिलियन डॉलर की सहायता शामिल थी। लेकिन, मौजूदा संकट पर भारत की ओर से कोई आधिकारिक बयान या निंदा नहीं की गई है। विदेश मंत्रालय ने अक्टूबर 2023 में हमास के आतंकी हमलों की निंदा की थी और दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन किया था, जिसमें एक स्वतंत्र फलस्तीनी राज्य की स्थापना शामिल है। फिर भी, हाल के सैन्य अभियानों और मानवीय संकट पर भारत की खामोशी कई सवाल खड़े करती है। 


वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति
भारत ने हमेशा से ही अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है। इजरायल के साथ भारत के मजबूत रक्षा और आर्थिक संबंध हैं, लेकिन साथ ही वह फलस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का भी समर्थन करता रहा है।

 हालांकि, मौजूदा संकट में भारत की चुप्पी को कई लोग कमज़ोरी के रूप में देख रहे हैं। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि भारत की यह खामोशी इजरायल के साथ रणनीतिक संबंधों को बनाए रखने की कोशिश हो सकती है, लेकिन यह वैश्विक मंच पर भारत को अलग-थलग भी कर सकती है। खासकर तब, जब यूरोप के 17 देश और अन्य वैश्विक शक्तियाँ इजरायल की कार्रवाइयों की खुलकर आलोचना कर रहे हैं। 


क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
विदेश नीति विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को गाज़ा जैसे मानवीय संकटों पर अपनी आवाज़ बुलंद करनी चाहिए। एक विशेषज्ञ ने कहा, "भारत एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति है, और ऐसे समय में चुप रहना उसे वैश्विक नेतृत्व की दौड़ में पीछे धकेल सकता है।" दूसरी ओर, कुछ का मानना है कि भारत की चुप्पी '

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