नई दिल्ली, 22 मई 2025: तमिलनाडु की सरकारी शराब कंपनी तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन (TASMAC) के मुख्यालय पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी और जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है
नई दिल्ली, 22 मई 2025: तमिलनाडु की सरकारी शराब कंपनी तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन (TASMAC) के मुख्यालय पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी और जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है
सुप्रीम कोर्ट ने ED की कार्रवाई पर अस्थायी रोक लगाते हुए केंद्रीय एजेंसी को कड़ी फटकार लगाई। मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “आप व्यक्तिगत लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन संपूर्ण कॉर्पोरेशन के खिलाफ? ED सारी सीमाएं पार कर रहा है।” कोर्ट ने ED को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, जिसका जवाब अवकाश के बाद देना होगा।
मामले का विवरण
प्रवर्तन निदेशालय ने 6 से 8 मार्च 2025 को TASMAC के कई कार्यालयों पर छापेमारी की थी, जो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत दर्ज कई FIRs के आधार पर और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत की गई थी। ED ने जांच में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का दावा किया, जिसमें फर्जी खर्चों के जरिए नकदी जुटाने और मुनाफा कमाने का नेटवर्क होने की बात कही गई। तमिलनाडु सरकार ने इस कार्रवाई को अवैध बताते हुए मद्रास हाई कोर्ट के 23 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी, जिसमें हाई कोर्ट ने ED की कार्रवाई को मंजूरी दी थी।
तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि ED ने TASMAC के अधिकारियों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए और उनके डेटा की क्लोनिंग की, जो निजता का गंभीर हनन है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने 2017 से अब तक व्यक्तियों के खिलाफ 41 FIRs दर्ज की हैं, फिर भी ED ने पूरे कॉर्पोरेशन को निशाना बनाया।
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई ने ED की कार्रवाई को असंगत और संभावित रूप से असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है, और ED का इस तरह पूरे कॉर्पोरेशन के खिलाफ कार्रवाई करना संघीय ढांचे का उल्लंघन है। कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि जब व्यक्तियों के खिलाफ FIRs पहले से मौजूद हैं, तो ED पूरे निगम पर छापेमारी क्यों कर रही है। CJI ने कहा, “यह अपराध निगम के खिलाफ कैसे हो सकता है? ED सभी सीमाएं लांघ रही है।”
तमिलनाडु सरकार को इस फैसले से बड़ी राहत मिली है। DMK नेता आरएस भारती ने इसे बीजेपी के तमिलनाडु सरकार को बदनाम करने के प्रयासों पर “करारा झटका” बताया। उन्होंने ED को “ब्लैकमेलिंग संगठन” करार देते हुए कहा कि इसका उपयोग गैर-बीजेपी शासित राज्यों के खिलाफ किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने ED को नोटिस जारी कर जवाब मांगने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई अवकाश के बाद होगी। इस बीच, ED की जांच और छापेमारी पर अस्थायी रोक रहेगी। तमिलनाडु सरकार ने दावा किया है कि ED की कार्रवाई केंद्र और राज्य के बीच संघीय ढांचे का उल्लंघन करती है, और सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को गंभीरता से लिया है।
यह फैसला ED की कार्रवाइयों पर सवाल उठाने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल के महीनों में ED की मनमानी और अधिकारों के दुरुपयोग पर कई बार चिंता जताई है। इस मामले में कोर्ट का रुख केंद्र और राज्य के बीच शक्तियों के बंटवारे और संघीय ढांचे की रक्षा के प्रति स्पष्ट है। यह फैसला अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है, जहां ED की कार्रवाइयों पर सवाल उठ रहे हैं।
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