जून 13, 2025
यह मिसाइल, भारत और रूस के संयुक्त उद्यम का परिणाम, न केवल तकनीकी चमत्कार है, बल्कि भारत की रक्षा नीति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी है।
भारत के पूर्व राष्ट्रपति और 'मिसाइल मैन' के नाम से मशहूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने देश को न केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों का खजाना दिया, बल्कि एक ऐसी सैन्य ताकत भी प्रदान की, जो आज विश्व मंच पर भारत का गौरव बढ़ा रही है। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व में विकसित ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी ताकत का लोहा मनवाया। यह मिसाइल, भारत और रूस के संयुक्त उद्यम का परिणाम, न केवल तकनीकी चमत्कार है, बल्कि भारत की रक्षा नीति और आत्मनिर्भरता का प्रतीक भी है।
1998 में डॉ. कलाम के नेतृत्व में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ, जिसने ब्रह्मोस एयरोस्पेस को जन्म दिया। ब्रह्मपुत्र और मॉस्कवा नदियों के नाम पर आधारित इस मिसाइल को 'फायर एंड फॉरगेट' सिद्धांत पर डिज़ाइन किया गया है, जो इसे अचूक और घातक बनाता है। इसकी गति, जो मैक 3 (ध्वनि की गति से तीन गुना) तक है, और 300 से 800 किलोमीटर की रेंज, इसे दुश्मन के रडार और हवाई रक्षा प्रणालियों के लिए लगभग असंभव लक्ष्य बनाती है।
ऑपरेशन सिंदूर, जो अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में 7 मई 2025 को शुरू हुआ, ने ब्रह्मोस की युद्धक क्षमता को दुनिया के सामने ला दिया। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने 15 ब्रह्मोस मिसाइलों का उपयोग कर पाकिस्तान के 11 प्रमुख हवाई अड्डों और आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। माना जाता है कि इन हमलों में जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर स्थित मुख्यालय भी नष्ट हो गया। मिसाइल की सटीकता इतनी थी कि एक मीटर से भी कम की त्रुटि के साथ लक्ष्य भेदे गए, जिसने पाकिस्तान के चीनी मूल के हवाई रक्षा तंत्र को पूरी तरह बेकार साबित कर दिया।
डॉ. कलाम का योगदान केवल तकनीकी विकास तक सीमित नहीं था। उन्होंने भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता के सपने को साकार करने के लिए वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को प्रेरित किया। ब्रह्मोस मिसाइल आज न केवल भारत की सेना का अभिन्न हिस्सा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी इसकी मांग बढ़ रही है। 2022 में फिलीपींस के साथ 375 मिलियन डॉलर का सौदा और इंडोनेशिया, वियतनाम, मलेशिया जैसे देशों की रुचि इसका प्रमाण है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एंड टेस्टिंग फैसिलिटी के उद्घाटन के दौरान कहा, "ब्रह्मोस की ताकत का अंदाजा पाकिस्तान से पूछिए।"
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी ऑपरेशन सिंदूर को पाकिस्तान के लिए 'करारा जवाब' करार देते हुए इस मिसाइल की भूमिका की सराहना की।
ब्रह्मोस का भविष्य और भी उज्ज्वल है। इसके हाइपरसोनिक संस्करण, ब्रह्मोस-II, पर काम चल रहा है, जो स्क्रैमजेट तकनीक पर आधारित होगा और गहराई में छिपे या भारी सुरक्षा वाले लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम होगा। डॉ. कलाम का यह तोहफा न केवल भारत की सैन्य ताकत को बढ़ा रहा है, बल्कि उनकी आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को भी साकार कर रहा है।
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