मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री विजय शाह एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं।
मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री विजय शाह एक बार फिर अपने विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं।
इस बार उन्होंने भारतीय सेना की महिला सैनिकों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की, जिसके बाद सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आईं। शाह ने अपनी टिप्पणी में सेना की बहादुर महिला सैनिकों को
"आतंकवादियों की बहन" कहकर संबोधित किया और यह भी कहा कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कपड़े नहीं उतार सकते थे, इसलिए उन्होंने आतंकियों के समाज की बहन को यह काम करने भेजा।" इस बयान ने न केवल सैनिकों और उनके परिवारों की भावनाओं को ठेस पहुँचाई, बल्कि देशभर में आक्रोश की लहर पैदा कर दी।
विवाद बढ़ने के बाद विजय शाह ने सार्वजनिक रूप से माफी माँग ली और अपने बयान को गलत संदर्भ में समझे जाने का दावा किया। उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का नहीं था और वे सैनिकों का सम्मान करते हैं। हालांकि, उनकी माफी को विपक्षी दलों और जनता के एक बड़े वर्ग ने नाकافی बताया। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसे "मजबूरी में माँगी गई माफी" करार दिया और माँग की कि शाह के खिलाफ देशद्रोह (Sedition) का मुकदमा दर्ज किया जाए।
कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने सोशल मीडिया पर शाह के बयान की कड़ी निंदा की और इसे "नीचता और निर्लज्जता की पराकाष्ठा" बताया। उन्होंने कहा कि जब पूरा देश सेना के शौर्य पर गर्व करता है, ऐसे में एक भाजपा मंत्री का सैनिक बेटियों पर धर्म के आधार पर टिप्पणी करना शर्मनाक है। मध्यप्रदेश कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी इस बयान को सेना और देश का अपमान बताते हुए शाह के इस्तीफे की माँग की।
सोशल मीडिया पर जनता का गुस्सा:
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस मुद्दे ने तूल पकड़ा। कई यूजर्स ने लिखा कि सैनिक बेटियों का अपमान देश के सम्मान पर हमला है और इसे क्षमा नहीं किया जा सकता। एक यूजर ने लिखा, "माफी से काम नहीं चलेगा। सैनिक बेटियों का अपमान माफ़ी के लायक़ नहीं है। इनके ऊपर देशद्रोह का मुक़दमा चलना चाहिए।" कुछ लोगों ने यह भी सवाल उठाया कि अगर यह बयान किसी अन्य समुदाय के नेता ने दिया होता, तो क्या सरकार इतनी नरमी बरतती?
कई संगठनों और नागरिकों ने विजय शाह के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की माँग की है। उनका तर्क है कि सेना का अपमान करने वाला बयान राष्ट्रीय एकता और अखंडता के खिलाफ है, जिसके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 124A (देशद्रोह) के तहत कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि, अभी तक मध्यप्रदेश पुलिस या सरकार की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
भाजपा ने इस मामले में दूरी बनाए रखने की कोशिश की है। पार्टी के कुछ नेताओं ने निजी तौर पर शाह के बयान को गलत ठहराया, लेकिन आधिकारिक रूप से कोई कड़ा रुख नहीं अपनाया गया। कुछ सूत्रों के अनुसार, भाजपा हाईकमान इस बयान से नाराज है और शाह को आंतरिक रूप से चेतावनी दी जा सकती है।
यह पहली बार नहीं है जब विजय शाह अपने बयानों को लेकर विवादों में घिरे हैं। इससे पहले भी वे कई बार अपनी टिप्पणियों के कारण आलोचना का शिकार हो चुके हैं। हालांकि, हर बार माफी माँगकर या सफाई देकर वे मामले को शांत करने में सफल रहे हैं। लेकिन इस बार मामला सेना से जुड़ा होने के कारण संवेदनशील हो गया है।
विजय शाह का बयान और उसके बाद की माफी मध्यप्रदेश की सियासत में एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। सेना के प्रति देश की गहरी भावनाओं को देखते हुए, इस मामले का राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव लंबे समय तक देखने को मिल सकता है। विपक्ष इसे भाजपा के खिलाफ एक बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, जबकि जनता के बीच गुस्सा बढ़ता जा रहा है। अब यह देखना होगा कि सरकार और कानूनी संस्थाएँ इस मामले में क्या कदम उठाती हैं।
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